Visheshokti  alankar / विशेषोक्ति अलंकार  परिभाषा, उदाहरण – हिन्दी

विशेषोक्ति अलंकार  : परिभाषा: संपूर्ण कारणों के होने पर भी फल का न कहना विशेषोक्ति है। अर्थात काव्य में जहाँ कार्य सिद्धि के समस्त कारणों के विद्यमान रहते हुए भी कार्य न हो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है। Today we share about   विभावना और विशेषोक्ति अलंकार में अंतर, उल्लेख अलंकार के 10 उदाहरण, हिंदी साहित्य के अलंकार, व्यतिरेक अलंकार का सरल उदाहरण, विभावना अलंकार के 10 उदाहरण, अपन्हुति अलंकार के उदाहरण

No.-1. यह अलंकार, Hindi Grammar के Alankar के भेदों में से एक हैं।

विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण

No.-1.

No.-1. नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय।

No.-2. नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।

No.-2.

No.-1. मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम,

No.-2. फूलहि फलहि न बेत , जदपि सुधा बरसहिं जलद

विशेषोक्ति अलंकारः संस्कृत

No.- 1. ‘‘विशेषोक्तिरखणेषु कारणेषु फलावचः,

No.-2. संपूर्ण कारणों के होने पर भी फल का न कहना विशेषोक्ति है।

उदाहरणस्वरूप :

No.-1. निद्रानिवृत्तावुदिते रत्ने सखीजने द्वारपदं पराप्ते,

No.-2. श्लथीकृताश्लेषरसे भुजङ्गे चचाल नालिङ्गनतोऽङ्गना सा ।।

No.-3. स्पष्टीकरण– यहाँ निद्रानिवृत्ति, सूर्य का उदय होना तथा सखियों का द्वार पर आना आलिंगन परित्याग करने के कारण उपस्थित है, फिर भी नायिका आलिंगन का त्याग नहीं कर पा रही है।

अन्य उदाहरण :

No.-1.

No.-1. कर्पूर इव दग्धोऽपि शक्तिमान् यो जने जने ।

No.-2. नमोऽस्त्ववार्यवीर्याय तस्मै मकरकेतवे ।।

No.-2.

No.-1. सः एकस्त्रीणि जयति जगन्ति कुसुमायुधः ।

No.-2. हरताऽपि तनुं यस्य शम्भुना न वलं हृतम् ।।