major rajesh singh adhikari | major rajesh | major adhikari | major rajesh adhikari | rajesh singh adhikari | mahaveer chakra vijeta | major rajesh singh adhikari – mahaveer chakera vijeta |
MAJOR RAJESH SINGH ADHIKARI
No.-1. जन्म :- 25 दिसंबर 1970
No.-2. जन्मस्थान :- नैनीताल में
No.-3. मृत्यु :- 30 मई 1999
No.-4. राजेश सिंह अधिकारी का जन्म 25 दिसंबर 1970 को नैनीताल में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जोसेफ़स कॉलेज से 1987 में हुई, और माध्यमिक शिक्षा गवर्मेंट इंटर कॉलेज नैनीताल से तथा बी. एस सी कुमाऊँ यूनिवर्सिटी, नैनीताल से हुआ। शुरुआत से ही सेना के प्रति राजेश का जो जब्जा था वो उन्हें प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी में ले आया और 11 दिसंबर 1993 को मेजर राजेश सिंह अधिकारी भारतीय सैन्य अकादमी से ग्रेनेडियर में कमिशन हुए।
No.-5. सन 1999 में कारगिल का दौर शुरू हो गया। इसी बीच मेजर अधिकारी को कारगिल ऑपरेशन के लिए भेजा गया, उस ओपरेशन के लिए मेजर अधिकारी अपनी कंपनी की अगुआई कर रहे थे, तभी दुश्मन ने उन पर दोनों तरफ से मशीनगनों से भीषण हमला किया।
No.-6. मेजर अधिकारी ने तुरंत अपनी रॉकेट लांचर टुकड़ी को दुश्मन को उलझाए रखने का निर्देश दिया और अत्यंत ही नजदीक की लड़ाई में दुश्मन के दो सैनिकों को मार डाला।
No.-7. इसके बाद मेजर अधिकारी ने धीरज से काम लेते हुए अपनी मीडियम मशीनगन टुकड़ी को एक चट्टान के पीछे मोर्चा लेने और दुश्मन को उलझाए रखने को कहा, और अपनी हमलावर टीम के साथ एक-एक इंच आगे बढ़ते रहे।
No.-8. इसी दौरान मेजर अधिकारी दुश्मन की गोलियों से गंभीर रूप से घायल हुए, फिर भी वह अपने सैनिकों को निर्देशित करते रहे और वहां से हटने से मना कर दिया।
No.-9. उन्होने दुश्मन के दूसरे बंकर पर हमला किया और वहाँ काबिज सैनिक को मार गिराया, उन्होने तोलोलिंग ऑपरेशन में दो बंकरों पर कब्जा किया जो बाद में प्वाइंट 4590 को जीतने में मददगार साबित हुए, अंतत: वह देश की आन, बान, शान के लिए बलिदान हुए।
No.-10. मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को कायम रखते हुए दुश्मन की उपस्थिति में असाधारण वीरता व उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रदर्शन किया, उन्हे मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
No.-11. नोट :- मेजर राजेश सिंह अधिकारी की भारतीय सेना की तरफ से कारगिल युद्ध में उनके साहस को देखते हुए मरणोपरांत 1 जनवरी 1999 को महावीर चक्र (Maha Vir Chakra) से सम्मानित किया गया।